Hath खाली हैं तेरे शहर se jaate जाते जान hoti to मेरी जान लुटाते jaate
अब तो हर hath ka पत्थर हमे phechanta है
उम्र गुजरी है तेरे शहर में aate जाते।
रेंगने की भी इजाज़त नहीं हमको vrna जिदर जाते नए फूल खिल जाते
मुझ को रोने का salika भी नही हैं शायद
Log हस्ते है मुझे देख के आते जाते
अब के मायूस हुआ यारो को रुखसत करके
Ja रहे थे तो कोई जख्म लगाते जाते
हम से पहले भी मुसाफिर कई गुजरे होंगे
Km से कम राह के पत्थर तो हटाते jaate
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