( तुम और मैं)
तुम और मैं
तुम यहा रुको
मैं रुक गई
जल्दी चलो
मैं दौड़ पड़ी
तुमने कहा किसी से कुछ मत खेना मैं चुप रही
अब रोने मत लगना मने अंशु पी लिए
देर से आऊंगा मने दरवाजे पर सारी रात काट दी कहाने में क्या ?
मने सारे स्वाद परोस दिए तुम्हरे चिल्लाने से सहम जाते हैं बच्चे मैं तुम्हे नाराज होने का कोई मौका नहीं देती
और तुम मुझे जीने का .....
( हुस्न कहते है )
हुस्न कहते है जिसे , नप्पे तुले नक्श
इसमें जरूरी है क्या
हसीन जिस्म , नजर मैं शोखी लबों में जान , जरूरी है क्या ,,
रंग सांवला या सफेद ,
नजाकत बदन में जरूरी है क्या
अंदाज देखने का था ही कुछ ऐसा , हसीन और हसीन और हसीन बनाता चला गया ।
इश्क चीज है कमाल इश्क नजर मैं,
बेमिसाल बेनजीर बनाता चला गया ।।।
(उस रोज बारिश नही थी)
उस रोज बारिश नही थी हा , बादल थे थोड़े थोड़े ,
जिसने धूप छन रही थी ,,, और मौसम भी अच्छा था ,,,
हम जब मिलने वाले थे
वो दिन अच्छा था,,,
अपना खूबसूरत म्हेरून दुप्पटा लाइट लिपिस्ट के साथ,
मने डाला था तुमसे मिलने जो आना था,,
वो दिन वाकई अच्छा था,,,
इंतजार में कितनी कशिश भी मौसम का खुमार धडकनों में आया था कितने खयाल सवालों , सवालों मैं में उलझे, सामने की टेबल , पर बैठे इंतजार से,,,, हम बाते कर रहे थे ,,,
बदलो से पानी की बूंदों को अपनी बाहों में संजो लिया था
वो दिन कुछ NM SA भीगा भीगा था,,,
किसी के इन्तजार में क्या वाकई वो दिन अच्छा था
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